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Monkeypox Infection: मंकीपॉक्स एक ऐसी बीमारी है, जो अब तक अफ्रीका के देशों में ही पाई जाती थी. हालांकि पिछले कुछ महीनों में यह बीमारी एक महामारी की तरह फैलने लगी है और इसके केस अफ्रीका के बाहर के देशों में भी बड़ी संख्या में देखने को मिल रहे हैं. अचानक यह संक्रामक रोग इस तरह से क्यों फैलने लगा है, इस बारे में अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है. हालांकि सीएसआईआर-आईजीआईबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर जीतेन्द्र नारायण ने बातचीत के दौरान इस बारे में कई अहम बातें बताईं. मंकीपॉक्स फैलने के कारण से लेकर इसके लक्षण इत्यादि के बारे में यहां जानें…
क्या है मंकीपॉक्स?मंकीपॉक्स एक संक्रामक रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कई माध्यमों से फैल सकता है. शारीरिक संपर्क होने पर भी यह वायरस फैल सकता है और संक्रमित व्यक्ति की श्वांस तथा खांसी के साथ भी यह वायरस स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है.
मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं?
मंकीपॉक्स से संक्रमित होने पर सबसे पहले दर्द और बुखार बढ़ता है. मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द, कमर दर्द, थकान लगना, ठंड लगना जैसे लक्षण नजर आते हैं.
मंकीपॉक्स होने पर 1 से 3 दिन के अंदर संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर जगह-जगह फफोले जैसे घाव बन जाते हैं. जिनमें से पस भी रिसने लग सकता है.
मंकीपॉक्स होने पर शरीर में फ्लू जैसे लक्षण भी नजर आते हैं, लेकिन इसका सबसे अलग और मुख्य लक्षण शरीर पर उभर आने वाले मोटे फफोले जैसे घाव ही हैं, जिन्हें मेडिकल भाषा में लिम्फनोड्स का उभर आना कहते हैं.
मंकीपॉक्स का असर बढ़े हुए लिम्फ नोड्स पर साफ दिखाई देता है. लिम्फ नोड्स को आप शरीर के सुरक्षा गार्ड्स के रूप में समझ सकते हैं. ये छोटी-छोटी गांठनुमा संरचनाएं होती हैं, जो पूरे शरीर में फैली हुई हैं. जब भी कोई वायरस शरीर पर अटैक करता है तो ये लिम्फ नोड्स उसे दबोच लेते हैं ताकि वह शरीर के अन्य अंगों पर अटैक ना कर सके.
इस दौरान वायरस और लिम्फ नोड्स के अंदर मौजूद लिम्फोसाइट्स (lymphocytes) के बीच एक लड़ाई चलती है, जिस कारण कुछ ही दिनों में वायरस मर जाता है. लेकिन इस दौरान लिम्फ नोड्स में सूजन आ जाती है. जिस वजह से शरीर में मोटे-मोटे सूजन युक्त घाव दिखने लगते हैं.
इसे मंकीपॉक्स क्यों कहते हैं?इस बीमारी का नाम मंकीपॉक्स इसलिए पड़ा है क्योंकि सबसे पहले 1958 में वैज्ञानिकों ने बंदरों में इस बीमारी को देखा था. क्योंकि यह एक संक्रमण है इसलिए एक प्रजाति के जानवरों से दूसरे जानवरों में भी फैल सकता है. इसलिए माना जाता है कि चूहों, कुत्तों इत्यादि के माध्यम से यह वायरस मनुष्यों तक पहुंचा होगा.
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?
संक्रमित व्यक्ति से शारीरिक संपर्क करने पर.मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति द्वारा छोड़ी गई श्वांस की महीन अदृश्य बूंदों से.संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किए गए बिस्तर का उपयोग करने से.संक्रमण से निकले पस के संपर्क में आने पर.
मंकीपॉक्स का इलाज क्या है?जनस्वस्थ्य दवाएं, एंटीवायरल दवाएं इसके इलाज में काफी प्रभावी दिख रही हैं. हालांकि इस संक्रमण को रोकने के लिए टीकाकरण के विकल्प पर भी कई देश विचार कर रहे हैं, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHo) का कहना है कि यदि लोग स्वच्छता का ध्यान रखें और सुरक्षित यौन संबंध बनाएं तो इस संक्रामक रोग से बचा जा सकता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
यह भी पढ़ें: कोलेस्ट्रॉल क्या है? जानें इस समस्या के कारण और लक्षण
यह भी पढ़ें: हार्ट अटैक से लेकर कोलेस्ट्रॉल तक, जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं ये आसान लाइफस्टाइल टिप्स
Monkeypox Infection: मंकीपॉक्स एक ऐसी बीमारी है, जो अब तक अफ्रीका के देशों में ही पाई जाती थी. हालांकि पिछले कुछ महीनों में यह बीमारी एक महामारी की तरह फैलने लगी है और इसके केस अफ्रीका के बाहर के देशों में भी बड़ी संख्या में देखने को मिल रहे हैं. अचानक यह संक्रामक रोग इस तरह से क्यों फैलने लगा है, इस बारे में अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है. हालांकि सीएसआईआर-आईजीआईबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर जीतेन्द्र नारायण ने बातचीत के दौरान इस बारे में कई अहम बातें बताईं. मंकीपॉक्स फैलने के कारण से लेकर इसके लक्षण इत्यादि के बारे में यहां जानें…
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक संक्रामक रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कई माध्यमों से फैल सकता है. शारीरिक संपर्क होने पर भी यह वायरस फैल सकता है और संक्रमित व्यक्ति की श्वांस तथा खांसी के साथ भी यह वायरस स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है.
मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं?
- मंकीपॉक्स से संक्रमित होने पर सबसे पहले दर्द और बुखार बढ़ता है. मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द, कमर दर्द, थकान लगना, ठंड लगना जैसे लक्षण नजर आते हैं.
- मंकीपॉक्स होने पर 1 से 3 दिन के अंदर संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर जगह-जगह फफोले जैसे घाव बन जाते हैं. जिनमें से पस भी रिसने लग सकता है.
- मंकीपॉक्स होने पर शरीर में फ्लू जैसे लक्षण भी नजर आते हैं, लेकिन इसका सबसे अलग और मुख्य लक्षण शरीर पर उभर आने वाले मोटे फफोले जैसे घाव ही हैं, जिन्हें मेडिकल भाषा में लिम्फनोड्स का उभर आना कहते हैं.
- मंकीपॉक्स का असर बढ़े हुए लिम्फ नोड्स पर साफ दिखाई देता है. लिम्फ नोड्स को आप शरीर के सुरक्षा गार्ड्स के रूप में समझ सकते हैं. ये छोटी-छोटी गांठनुमा संरचनाएं होती हैं, जो पूरे शरीर में फैली हुई हैं. जब भी कोई वायरस शरीर पर अटैक करता है तो ये लिम्फ नोड्स उसे दबोच लेते हैं ताकि वह शरीर के अन्य अंगों पर अटैक ना कर सके.
- इस दौरान वायरस और लिम्फ नोड्स के अंदर मौजूद लिम्फोसाइट्स (lymphocytes) के बीच एक लड़ाई चलती है, जिस कारण कुछ ही दिनों में वायरस मर जाता है. लेकिन इस दौरान लिम्फ नोड्स में सूजन आ जाती है. जिस वजह से शरीर में मोटे-मोटे सूजन युक्त घाव दिखने लगते हैं.
इसे मंकीपॉक्स क्यों कहते हैं?
इस बीमारी का नाम मंकीपॉक्स इसलिए पड़ा है क्योंकि सबसे पहले 1958 में वैज्ञानिकों ने बंदरों में इस बीमारी को देखा था. क्योंकि यह एक संक्रमण है इसलिए एक प्रजाति के जानवरों से दूसरे जानवरों में भी फैल सकता है. इसलिए माना जाता है कि चूहों, कुत्तों इत्यादि के माध्यम से यह वायरस मनुष्यों तक पहुंचा होगा.
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?
संक्रमित व्यक्ति से शारीरिक संपर्क करने पर.
मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति द्वारा छोड़ी गई श्वांस की महीन अदृश्य बूंदों से.
संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किए गए बिस्तर का उपयोग करने से.
संक्रमण से निकले पस के संपर्क में आने पर.
मंकीपॉक्स का इलाज क्या है?
जनस्वस्थ्य दवाएं, एंटीवायरल दवाएं इसके इलाज में काफी प्रभावी दिख रही हैं. हालांकि इस संक्रमण को रोकने के लिए टीकाकरण के विकल्प पर भी कई देश विचार कर रहे हैं, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHo) का कहना है कि यदि लोग स्वच्छता का ध्यान रखें और सुरक्षित यौन संबंध बनाएं तो इस संक्रामक रोग से बचा जा सकता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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