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56 Bhog For Shri Krishna Janmashtami 2022: कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं का मुख्य त्योहार है. इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी. इस दिन व्रत रूप से भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है .रात में कान्हा के जन्म के बाद पूजा में 56 भोग का प्रसाद लगाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि छप्पन भोग से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. आइए जानते हैं कैसे हुई 56 भोग लगाने की शुरूवात और क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा
जन्माष्टमी पर 56 भोग की पौराणिक कथाएक पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण अपने बचपन में मां यशोदा के साथ रहा करते थे तब उनकी मां उन्हें दिन में 8 बार भोजन करवाया करती थीं और आठों बार अपने ही हाथों से उन्हें भोजन कराती थीं ताकि कृष्ण को पेट भरकर खाना खिलाया जा सके. एक बार बृजवासी इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए एक बड़ा आयोजन करा रहे थे. कृष्ण ने नंद बाबा से पूछा कि ये आयोजन किस लिए हो रहा है तो उन्होंने बताया कि यह आयोजन स्वर्ग के भगवान इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए किया जा रहा है. इससे वो अच्छी बारिश करेंगे और अच्छी फसल होगी. तब कृष्ण ने कहा जब बारिश करवाना इंद्रदेव का काम है तो उनकी पूजा क्यों करना. अगर पूजा करनी है तो गोवर्धन पर्वत की करो क्योंकि इससे फल-सब्जियां प्राप्त होती हैं और पशुओं को चारा मिलता है. तब सभी को कृष्ण की बात उचित और तार्किक लगी. सभी ने इंद्र की पूजा ना कर के गोवर्धन की पूजा की. इंद्रदेव को लगा कि ये उनका घोर अपमान है. वे क्रोधित हो गए और क्रोध में आकर भयंकर बारिश कर दी, हर तरफ पानी ही पानी नजर आने लगा. जब पानी बढ़ने लगा तो कृष्ण ने कहा कि गोवर्धन की शरण में चलिए, वही हमको इंद्र के प्रकोप से बचाएंगे. कृष्णजी ने कनिष्ठा उंगली पूरे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और पूरे ब्रज की रक्षा की. अगले सात दिनों तक भगवान कृष्ण ने बिना कुछ खाए पिए गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा. जब 8वें दिन बारिश बंद हुई और सब लोग गोवर्धन की शरण से बाहर आए. इसके बाद सब ने सोचा कि कृष्ण ने उनकी लगातार 7 दिनों तक भाषा से वर्षा से रक्षा की और कुछ खाया पिया भी नहीं. तब माता यशोदा समेत ब्रजवासियों ने कन्हैया के लिए हर दिन के आठ पहर के हिसाब से सात दिनों को मिलाकर कुल 56 प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए थे. इस प्रकार भगवान कृष्ण को छप्पन भोग का भोग लगाया जाता है.
क्या होता है छप्पन भोग के पकवान में भगवान कृष्ण को लगने वाले छप्पन भोग में भात, सूप, चटनी, कढ़ी, दही शाक की कढ़ी, सिखरन, शरबत, बालका, इक्षु, बटक, मठरी, फेनी, पूडी, खजला, घेवर, मालपुआ, चोला, जलेबी, मेसू, रसगुल्ला, पगी हुई, महारायता, थूली, लौंगपुरी, खुरमा, दलिया, परिखा, सौंफ युक्त बिलसारू, लड्डू, साग, अधौना अचार, मोठ, खीर, दही, मक्खन, मलाई, रबड़ी, पापड़, गाय का घी, सीरा, लस्सी, सुवत, मोहन, सुपारी, इलायची, फल, तांबूल, मोहन भोग, लवण, कषाय, मधुर, तिक्त, कटु और अम्ल शामिल हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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56 Bhog For Shri Krishna Janmashtami 2022: कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं का मुख्य त्योहार है. इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी. इस दिन व्रत रूप से भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है .रात में कान्हा के जन्म के बाद पूजा में 56 भोग का प्रसाद लगाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि छप्पन भोग से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. आइए जानते हैं कैसे हुई 56 भोग लगाने की शुरूवात और क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा
जन्माष्टमी पर 56 भोग की पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण अपने बचपन में मां यशोदा के साथ रहा करते थे तब उनकी मां उन्हें दिन में 8 बार भोजन करवाया करती थीं और आठों बार अपने ही हाथों से उन्हें भोजन कराती थीं ताकि कृष्ण को पेट भरकर खाना खिलाया जा सके. एक बार बृजवासी इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए एक बड़ा आयोजन करा रहे थे. कृष्ण ने नंद बाबा से पूछा कि ये आयोजन किस लिए हो रहा है तो उन्होंने बताया कि यह आयोजन स्वर्ग के भगवान इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए किया जा रहा है. इससे वो अच्छी बारिश करेंगे और अच्छी फसल होगी. तब कृष्ण ने कहा जब बारिश करवाना इंद्रदेव का काम है तो उनकी पूजा क्यों करना. अगर पूजा करनी है तो गोवर्धन पर्वत की करो क्योंकि इससे फल-सब्जियां प्राप्त होती हैं और पशुओं को चारा मिलता है. तब सभी को कृष्ण की बात उचित और तार्किक लगी. सभी ने इंद्र की पूजा ना कर के गोवर्धन की पूजा की. इंद्रदेव को लगा कि ये उनका घोर अपमान है. वे क्रोधित हो गए और क्रोध में आकर भयंकर बारिश कर दी, हर तरफ पानी ही पानी नजर आने लगा. जब पानी बढ़ने लगा तो कृष्ण ने कहा कि गोवर्धन की शरण में चलिए, वही हमको इंद्र के प्रकोप से बचाएंगे. कृष्णजी ने कनिष्ठा उंगली पूरे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और पूरे ब्रज की रक्षा की. अगले सात दिनों तक भगवान कृष्ण ने बिना कुछ खाए पिए गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा. जब 8वें दिन बारिश बंद हुई और सब लोग गोवर्धन की शरण से बाहर आए. इसके बाद सब ने सोचा कि कृष्ण ने उनकी लगातार 7 दिनों तक भाषा से वर्षा से रक्षा की और कुछ खाया पिया भी नहीं. तब माता यशोदा समेत ब्रजवासियों ने कन्हैया के लिए हर दिन के आठ पहर के हिसाब से सात दिनों को मिलाकर कुल 56 प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए थे. इस प्रकार भगवान कृष्ण को छप्पन भोग का भोग लगाया जाता है.
क्या होता है छप्पन भोग के पकवान में
भगवान कृष्ण को लगने वाले छप्पन भोग में भात, सूप, चटनी, कढ़ी, दही शाक की कढ़ी, सिखरन, शरबत, बालका, इक्षु, बटक, मठरी, फेनी, पूडी, खजला, घेवर, मालपुआ, चोला, जलेबी, मेसू, रसगुल्ला, पगी हुई, महारायता, थूली, लौंगपुरी, खुरमा, दलिया, परिखा, सौंफ युक्त बिलसारू, लड्डू, साग, अधौना अचार, मोठ, खीर, दही, मक्खन, मलाई, रबड़ी, पापड़, गाय का घी, सीरा, लस्सी, सुवत, मोहन, सुपारी, इलायची, फल, तांबूल, मोहन भोग, लवण, कषाय, मधुर, तिक्त, कटु और अम्ल शामिल हैं.
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